“कर्ण का स्वप्न”
जो भी काम मैंने किया है,
वह सब मुझे याद आता है,
नहीं कोई पछतावा मुझे,
मैं तो धनुष उठाता हूँ।
मैं उस धरती का पुत्र हूँ,
जहाँ वीर पैदा होते हैं,
जहाँ संघर्ष ही जीवन है,
और विजय को जाना जाता है।
मेरे रक्त में जोश है,
मेरे हृदय में आग है,
मैं युद्धभूमि में उतरता हूँ,
निडर होकर, बिना डर के।
यह जीवन केवल मेरा नहीं,
यह धर्म और कर्तव्य का है,
मैं मरूँगा यदि आवश्यक हो,
पर झुकूँगा कभी नहीं।
सिख:
यह कविता साहस, कर्म और कर्तव्यपरायणता का संदेश देती है। कर्ण जैसे वीर योद्धा की दृष्टि से जीवन और युद्ध की महत्ता को दर्शाती है।