सिंह वंश की वीर गाथा
शेर के वंशज जो थे, उनमें था जोश भारी,
वीरता की मिसाल थी, दिलों में थी वोतारी।
रणभूमि में जब निकले, गूंज उठे उनकी दहाड़,
दुश्मन कांप उठता था, सुनकर शेरों की आवाज़।
महाराणा थे जो, राठौड़ और चौहान,
धरती की शान बढ़ाई, अपने स्वाभिमान।
प्रथम रण में जब उठे, तलवारों की वो चमक,
सिंह वंश की माटी से, निकली थी जो दमक।
धर्म की रक्षा को निकले, हर वक्त वे थे सजग,
सिख गुरु ने दिया नाम, ‘सिंह’ बना उनका सफर।
समानता का संदेश लेकर, जूठे भेद मिटाए,
शेर की तरह वीर बने, कभी पीछे न हट पाए।
परिवार का मान रखा, न्याय का दीप जलाया,
अपने वंश की परंपरा को, हर दिल में बसाया।
शिक्षा से सुसज्जित, और हृदय में था साहस,
सिंह वंश की यही पहचान, समय से जो खास।
हर पीढ़ी में जन्मे जो, नायक बने इतिहास के,
उनकी कहानियां सुनती, धरती के हर पास के।
शेर की दहाड़ जैसे, गूंजती उनकी बात,
सिंह वंश की परंपरा, अमर रहे हर जात।
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