Wednesday, May 21, 2025

महाराणा प्रताप और हल्दीघाटी का युद्ध: साहस की अमर कहानी

 

महाराणा प्रताप और हल्दीघाटी का युद्ध: साहस की अमर कहानी

1576 का साल था। मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप ने मुगल बादशाह अकबर की विशाल सेना का सामना करने के लिए हल्दीघाटी के मैदान में अपनी सेना संग खड़ा हो गया। सामने थी अकबर की पूरी ताकत, लेकिन महाराणा का दिल डरता नहीं था। उन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए जीवन न्योछावर करने का संकल्प किया था।

युद्ध आरंभ हुआ। तलवारों की टंकार, घोड़ों की थाप, और वीरों की दहाड़ से पूरा मैदान गूंज उठा। महाराणा प्रताप ने बिना किसी भय के, अपनी सेना का नेतृत्व करते हुए मुगलों के खिलाफ एक अद्भुत बहादुरी दिखाई। हार के सामने भी वे डिगे नहीं। भले ही युद्ध उनके पक्ष में न गया, लेकिन उनका साहस और जज्बा हर दिल में अमर हो गया।

महाराणा प्रताप ने हमें यह सिखाया कि असली वीरता हार न मानने में है। उन्होंने अपने सपने को जीवित रखा और हमेशा के लिए स्वतंत्रता और सम्मान की मिसाल बन गए।

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