Monday, May 19, 2025

गीत नया गाता हूँ

 

गीत नया गाता हूँ

टूटी हुई पतंग हूँ,
फिर भी आसमां छुना चाहता हूँ।
तूटा हुआ तार हूँ,
फिर भी नया गीत गाना चाहता हूँ।

जीवन की ठोकरों से घबराया नहीं,
हर दर्द को हंसकर सहना चाहता हूँ।
अंधेरों में भी उजियाला खोजता हूँ,
अपने सपनों को साकार करना चाहता हूँ।


एक और कविता का अंश — मौत से ठन गई

मौत से ठन गई है ज़िंदगी मेरी,
अब कोई डर नहीं किसी सफ़र से।
जी चुका हूँ हर पल को पूरी तरह,
अब तो बस चलना है उस सफ़र से।


और एक प्रेरक कविता — क्या खोया क्या पाया

क्या खोया क्या पाया,
यह तो सफ़र का हिसाब है।
हर घड़ी कुछ सिखाता है,
यह ज़िंदगी का किताब है।

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