“सारा आकाश” हिंदी साहित्य की एक प्रसिद्ध उपन्यास है, जिसे राजेंद्र यादव ने लिखा है। यह उपन्यास 1950-60 के दशक के सामाजिक और पारिवारिक परिवेश को दर्शाता है और खासकर विवाह, प्रेम, और पारिवारिक दबावों पर केंद्रित है।
सारांश — सारा आकाश
“सारा आकाश” की कहानी एक युवा दंपति, विजय और कविता के इर्द-गिर्द घूमती है। विजय का विवाह पारंपरिक तरीके से हो जाता है, लेकिन दोनों की सोच और जीवन के दृष्टिकोण में बहुत अंतर होता है। कविता आधुनिक विचारों वाली लड़की है, जबकि विजय पारंपरिक सोच रखता है। दोनों के बीच टकराव, समझदारी, और प्रेम की जटिलताएँ इस कहानी का मुख्य विषय हैं।
उपन्यास में परिवार, समाज, और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बीच संघर्ष को बेहद मार्मिक तरीके से दर्शाया गया है। राजेंद्र यादव ने इस उपन्यास के जरिए भारत के बदलते सामाजिक मूल्यों और युवाओं की मानसिकता को चित्रित किया है।
विशेषताएँ:
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विषय: पारिवारिक और सामाजिक तनाव, प्रेम, विवाह, और व्यक्तिगत स्वतंत्रता।
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शैली: सहज, सरल और यथार्थवादी।
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प्रमुख पात्र: विजय, कविता, और उनके परिवार के सदस्य।
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प्रभाव: हिंदी उपन्यास में नई सोच और यथार्थवाद का परिचायक माना जाता है।
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