Monday, May 19, 2025

मधुशाला – चयनित पंक्तियाँ

 “मधुशाला” की कुछ और प्रसिद्ध और गूढ़ पंक्तियाँ प्रस्तुत करता हूँ, जो इस कविता की आत्मा को दर्शाती हैं:


🌿 मधुशाला – चयनित पंक्तियाँ 🌿

(लेखक: डॉ. हरिवंश राय बच्चन)

1.
"मदिरालय जाने को घर से
चलता है पीने वाला,
‘किस पथ से जाऊँ?’ असमंजस में
है वह भोला-भाला।
अलग-अलग पथ बतलाते सब,
पर मैं यह बतलाता हूँ —
‘राह पकड़ तू एक चला चल,
पा जाएगा मधुशाला।’"

🔹 भावार्थ: जीवन में बहुत सी राहें होंगी, लोग भटकाएँगे, लेकिन अपने लक्ष्य की एक राह पकड़कर उस पर अडिग रहो — मंज़िल जरूर मिलेगी।


2.
“एक बरस में एक बार ही
जलती होली की ज्वाला,
एक बार ही लगती बाजी,
जलती दीपों की माला।
दुनिया वाले करते हैं
प्रेम दिवस का उत्सव,
रोज़ मनाओ तुम जीवन में
प्रेममय मधुशाला।”

🔹 भावार्थ: प्रेम, उत्सव, और जीवन को किसी एक दिन तक सीमित मत रखो — उसे रोज़ अपने जीवन में उतारो।


3.
“कभी न सोचो 'मिल जाएगी'
कभी न सोचो 'खो दी'
चलो उसी गति से जीवन
जैसे बहती हो धीमी नदी।
यही जीवन का गान है,
यही मधुशाला की शान है।”

🔹 भावार्थ: जीवन को पाने या खोने की चिंता से ऊपर उठकर जियो — यही सच्ची मधुशाला (आनंद की अवस्था) है।

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